ASWO ambedkar

B.R. Ambedkar

सर्व प्रथम नमो बुद्धाये जय भीम साथियो

आप सबको विश्व रत्न,ज्ञान के प्रतीक,करोड़ो शोषितों वंचितों और पिछड़ों के मसीहा,बोधिसत्व परम पूज्य बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के 128वे जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और कोटि कोटि नमन 🙏🏻🙏🏻🙏🏻।

बाबा साहेब एक ऐसी शख्सियत है जिसको शब्दों के माध्यम से बयाँ नही किया जा सकता और बाबा साहेब ने समाज के लिए जो संघर्ष किया और त्याग और बलिदान दिया है उसके लिए हम हमेशा बाबा साहेब के ऋणी रहेंगे।बाबा साहेब का ये कर्ज़ कभी भी नही उतारा जा सकता क्योंकि बाबा साहेब ने शोषितों के हक अधिकारों के लिए अपनी औलादें तक कुर्बान कर दी।बाबा साहेब ने कहा था कि मैं इस कारवाँ को बड़े कष्टों और कठिनाइयों का सामना करते हुए यहाँ तक लेकर आया हूँ और आपका ये दायित्व बनता है कि इस कारवाँ को आगे लेकर जाना और अगर आगे नही ले जा सके तो कम से कम किसी भी कीमत पर पीछे मत जाने देना,उनकी ये अपेक्षा खास तौर पर शिक्षित वर्ग से थी लेकिन हम इतने एहसान फरामोश हैं कि हमने कभी भी बाबा साहेब की बात पर अमल नही किया और इसीलिए बाबा साहेब ने कहा था कि मुझे मेरे समाज के पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया।आज हमे जो कुछ भी मिला है सब बाबा साहेब की बदौलत मिला है लेकिन एक वाजिब सवाल हमे अपने आप से भी करना चाहिए कि इसके बदले में हमने समाज को क्या दिया है। बाबा साहेब ने समता मूलक समाज का सपना देखा था लेकिन बाबा साहेब का समता मूलक समाज का सपना अभी तक अधूरा है क्योंकि हममें से ज्यादातर लोगों ने समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझा ही नही और "पे बैक टू द सोसाइटी" पे कभी काम करना जरूरी ही नही समझा।समाज के जिस वर्ग को बाबा साहेब मुख्यधारा में लाना चाहते थे कभी उसके प्रति अपने कर्त्तव्यों को नही समझा। हर साल बाबा साहेब का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है और इस कार्य पर बहुत अधिक पैसा खर्च करके केवल मनोरंजन तक ही सिमित रहते है। लेकिन ये मेरी निजी राय है हो सकता है इससे आप इत्तेफाक ना रखते हों कि इस सबके बजाय अगर हम बाबा साहेब के जीवन संघर्ष और इतिहास के बारे में अपने समाज को अवगत कराएं और उनको हकों और अधिकारों के प्रति जागरूक करें ,उनको पाखण्ड और अंधविश्वास से दूर करने का काम करें और उनको अम्बेडकरवादी विचारधारा का महत्व समझायें तथा शिक्षा प्रदान करने की दिशा में काम किया जाये तो तभी बाबा साहेब का जन्मदिवस मनाने का उद्देश्य सार्थक हो पायेगा। इसलिए शिक्षित वर्ग का ये कर्तव्य बनता है कि वो समाज को जागरूक करें यही बाबा साहेब के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

नमो बुद्धाय जय भीम

........TEAM ASWO.......






Our difficulty is not about the ultimate future. Our difficulty is how to make the heterogeneous mass that we have to-day take a decision in common and march on the way which leads us to unity. Our difficulty is not with regard to the ultimate, our difficulty is with regard to the beginning.

Let us leave aside slogans, let us leave aside words which frighten people. Let us even make a concession to the prejudices of our opponents, bring them in, so that they may willingly join with us on marching upon that mad, which as I said, if we walk long enough, must necessarily lead us to unity.

I know to-day we are divided politically, socially and economic-,ally; We are a group of warring camps and I may go even to the extent of confessing that I am probably one of the leaders of such a camp. But, Sir, with all this, I am quite convinced that given time and circumstances nothing in the world will prevent this country from becoming one.

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